सामाजिक समरसता का पर्व मकर संक्रान्ति 14 जनवरी गुरुवार को
प्रमोद कुमार
मोतिहारी : मकर राशि की सूर्य संक्रांति 14 जनवरी गुरुवार को दिन में 2 बजकर 3 मिनट से आएगी। इसलिए मकर संक्रान्ति (खिचड़ी) का प्रसिद्ध पर्व इसी दिन अर्थात् 14 जनवरी गुरुवार को मनाया जाएगा। इसका पुण्यकाल इसदिन पूरे दिन तक रहेगा। इसके साथ ही सूर्य उत्तरायण हो जाएँगे और खरमास समाप्त हो जाएगा तथा विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएँगे।उक्त जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने दी।
उन्होंने बताया कि मकर संक्रान्ति प्रधानतः सूर्योपासना का त्योहार है तथा भारतीय आध्यात्मिक-सांस्कृतिक रिवाज में सूर्य को विशेष स्थान प्राप्त है। धार्मिक महत्ता से इतर सूर्योपासना की पर्यावरणीय और सामाजिक उपयोगिता भी है। सूर्योपासना और पवित्र नदियों में स्नान अन्य प्रकार से मानव की प्रकृति पर निर्भरता को रेखांकित करने के साथ ही प्रकृति के प्रति उसकी कृतज्ञता को भी ज्ञापित करता है।मकर संक्रांति के दिन गंगा अथवा अन्य नदियों तथा किसी भी पवित्र जलाशयों में स्नान करने की पुण्यफलदायक परंपरा है।
इस दिन तिल युक्त खिचड़ी तथा तिल के लड्डू दान देने एवं खाने-खिलाने का विधान है।प्राचार्य पाण्डेय ने बताया कि मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य मकर से मिथुन तक की छः राशियों में रहते हुए उत्तरायण कहलाता है। उत्तरायण के छः मासों में सूर्य क्रमशः मकर,कुम्भ,मीन,मेष,वृष और मिथुन इन छः राशियों में भ्रमण करता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार दक्षिणायन के छः मासों को देवताओं की एक रात्रि माना गया है। इसी प्रकार उत्तरायण छः मास में देवलोक में दिन रहता है। उत्तरायण के समय पृथ्वी देवलोक के सम्मुख से गुजरती है। इसलिए स्वर्ग के देवता उत्तरायण काल में पृथ्वी पर घुमने आते हैं तथा पृथ्वी पर मानव द्वारा किया गया हविष्य (आहूति) आदि स्वर्ग के देवताओं को शीघ्र ही प्राप्त हो जाता है। अतः उत्तरायण काल एक पवित्र समय है। दान-पुण्य के कार्य उत्तरायण काल में करना परम कल्याणकारी रहता है।