चामौली में ग्लेशियर पिघलने का मुख्य कारण ,प्रदूषण से तापमान में वृद्धि होना
शाहबुद्दीन अहमद
बेतिया : अभी हाल ही के दिनों में, चमोली के तपोवन में ग्लेशियर पिघलने के कारण बहुत बड़ी त्रासदी हुई है, जिसमें कई लोगों को बह कर लापता होने की सूचना प्राप्त हो रही है ,यहां सरकार के द्वारा चलाए जा रहे दो बड़े प्रोजेक्ट भी पानी में बह गए हैं, जिससे सरकार को बहुत बड़ी आर्थिक क्षति हुई है, सरकार की इन दोनों बड़े प्रोजेक्टों में काम करने वाले लोगों का भी कोई अता पता नहीं है,इन लोगों का कोई अता-पता नहीं होने के कारण इन लोगों के परिवारों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है ,सरकार के द्वारा भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं , जिससे इन लोगों की बेचैनी बढ़ी हुई है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि , चमोली के तपोवन में ग्लेशियर गिरने की जो घटना घटी है ,वह केवल प्रदूषण के कारण, तापमान में वृद्धि होने से ग्लेशियर के टूटने की संभावना व्यक्त की जा रही है, वायु प्रदूषण के कारण भारत में 1 वर्ष में लगभग 12 लाख लोगों की मौत होती है , अंधाधुंध जंगल की कटाई और आधुनिक सुविधाओं के इस्तेमाल से होने वाले उपकरण से वातावरण गर्म हो गया है, इसका असर तापमान पर भी पड़ रहा है ,इसी का असर चमोली में देखने को मिला है, बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर पिघल गया और आपदा में कई की जान चली गई, इससे लोग बेघर हो गए हैं, प्रदूषण को लेकर विश्व स्तर पर जागरूकता लाने की आवश्यकता है ,जापान ने 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक वाहन का लक्ष्य रखा है ,भारत सरकार को भी इस पर तेजी से काम करना चाहिए, भारत में भी इलेक्ट्रॉनिक वाहन को चलाने पर जोर देने की जरूरत है,जिससे प्रदूषण की समस्या से निपटा जा सकता है।